Monday, December 30, 2019

नवल प्रभात 2020







☀️नव वर्ष 2020🎸🎸🎉🎉


देखा जाय तो पल भर में एक साल बदल जाता है l दिसम्बर में 31’st वाला दिन कुछ घंटो बाद ..और और सबसे आश्चर्य कर  देने वाली बात लगती है जब रात्रि के बारह बजते हैं तो ....कैसा लगता है ! 
ऐसा लगता है ...यह पल यह वर्ष एकदम से एक वर्ष पुराना बन गया ..।
कितना अजीब सा लगता है !
 कुछ अच्छा और कुछ बुरा मिली जुली दोनों भावनाओं का अहसास कराता है l 
शायद सभी का हर वर्ष बहुत अच्छा या कुछ कम अच्छा सभी का गुज़रता है l
ऐसा कहते हैं न “जब जागो तब सबेरा”
ग़ौर करें तो - प्रतीत होता है ;  पुनर्विचार अथवा पुनर्जागृति नव निर्माण करने के लिए हमारे दूरदर्शियों ने व बुद्धजीवियों द्वारा ऐसा नियम बनाया गया है ; जिसमें पल ,प्रहर, सप्ताह , पाक्षिक माह अर्द्धवार्षिक और फिर नवल वर्ष l 
सचमुच कोई एक दिन में जग जाता है l कोई एक सप्ताह और किसी किसी को तो महीनों या कहें वर्षों लग जाते हैं जागृत होने में ....
अतः इसके पीछे एक ही नहीं अनेक महत्वपूर्ण संदेश छिपे होते हैं l

हमारा यही प्रयत्न होना चाहिए कि - सदैव आगे बढ़े ! पूर्व के अच्छे अनुभव सुंदर यादों को समेटें हुए नयी जागरूकता की ओर बढ़ें l 
निराशा को त्याग - सदैव आशावान रहें l ऊर्जावान रहें l 
स्वयं प्रसन्न रहें साथ ही दूसरों को कष्ट न पहुँचाएँ l 
कुछ न कुछ जन कल्याणकारी कार्य अवश्य करें l 
तभी सर्वत्र मंगलमय प्रभात होगा l सर्वत्र ख़ुशहाली छा जाएगी l 


नव वर्ष का नवल प्रभात लिए सूर्य ☀️स्वर्णिम रश्मियों संग फिर आया है l अपने प्रकाश से जग में फिर नव जीवन भरने को आतुर दिखता है lआओ थाल सजा अर्ध्य दे कर करें हम  इसका स्वागत !
सदैव शीश नवा कर करें हम इसका अभिनंदन ! 🙏🙏

नव वर्ष सभी को शुभ शुभ हो !!🌷🌷



नव ☀️प्रकाश सुखमय प्रभात 
जीवन में भरने आया 
हर्षित पंछियों सा मधुर राग 
फिर जीवन में  सजाने आया 
🌷🎸
कुसुमित पुष्पों की डालियाँ
सुरभित कलियाँ महकाने आया 
घर-अँगना और उपवन सारा 
फिर हरित करने आया 
🌷🎸
निराश  मन  पतझड़  में 
बसन्त बहार लेकर आया 
अंधकार वीरान जीवन में 
फिर आलोक करने आया 
🌷🎸
यत्र - तत्र सर्वत्र प्रगति हो 
समग्र अशान्ति हरने आया 
जन-जीवन और समग्र सृष्टि में 
फिर सुख संपन्नता भरने आया 
🌷🎸
एक ईश है एक खुदा 
सबको एक करने आया 
सबके ‘रक्त का रंग’ एक है 
फिर ‘धरा अँगना’ समझाने आया 
🌷🎸
नव वर्ष 2020 सभी के लिए हर प्रकार से मंगलमय हो !

शुभकामनाओं के साथ -


मीनाक्षी श्रीवास्तव 






1 जनवरी 08:50 AM










Thursday, August 25, 2016

श्री कृष्ण जन्मोत्सव पावन पर्व


श्री कृष्ण जन्मोत्सव पावन पर्व पर ....



” घर घर में कान्हा की बंशी बजे , सबकी भव बाधा दूर करे ।
 कहीं न कोई उदास रहे ,      सबके घर आनंद धूम रहे ।”


प्रभु गिरधर गोपाल का गुणगान …..



बालमुकुंद  नंद्लाल  गोपाला ,
हर  लेते  सबका    संतापा ‌।
जिनके घर दधि माखन खाया ,
तिनके घर अति भण्डार  भरा ।
बनके  गौवन  के  रखवाला  ,
मधुबन  भ्रमै     मुरलीवाला  ।
खेल  कूद  बहु  क्रीड़ा  किया ,
सबको निसचर से मुक्त किया ।
ग्वाल बालाओं के  चीर चुराया ,
लोक लाज  उनको समझाया ।
खुद अबलाओं को दिया सहारा ,
जग में  उनका  मान बढ़ाया ।
गुरु, मात पिता  सत्कार दिया ,
दाऊ , सखा अति प्रेम किया ।
मैं - माया का भय भ्रम तोड़ा ,
अर्जुन को परम ज्ञानदिया  ।
दीनन के हरि दीन  दयाला ,
शरणागत  को   तारनहारा ।
हे नारायण !  विनय  सुनना ,
हम सब पर अपनी कृपा करना ।

हे गोविंद ! हे गोपाल !
हरे कृष्णा हरे हरे ! !
श्री राधे कृष्ण की जय !!


मीनाक्षी श्रीवास्तव
25-08-2016 

Wednesday, March 19, 2014

हाय नारी !

हाय नारी !


हाय ! नारी  क्या तेरी  -है,

यही कहानी ।


युगों–युगों से आज तक -है, 

लुटती अस्मिता तेरी ।


रिश्ते – नाते सारे- झूठे -हैं, 

करते तुझसे बेईमानी ।


कोई न जाने कोई न माने –है, 

तेरी  बेमिसाली ।


तेरे उद्गार तेरे समर्पण –की है, 

लगती बोली ।


हे नारी ! आज नहीं पर कल से-

तेरी सच में बदलेगी कहानी !


दूर नहीं वो दिन अब ज्यादा ,

जब ज्योति – ज्वाला बनेगी  !



मीनाक्षी श्रीवास्तव

वे दो ‘शब्द-शहद’ रस उनके …!

वे दो शब्द-शहद’ रस उनके .....!
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आंखे चार हुई, जब  उनसे ,
सुर्ख गुलाब हुई मैं, शर्म से.


वे दो शब्द-शहदरस उनके,
मेरे जीवन की शहनाई बने .


सुरभित हुआ जीवन ये अपना
नित  नया मधुमास     बना .


खिलते - उपवन को   हमने ,
बड़े - नेह से  सींचा - मिलके .


बसंत-बहार, सावन -   भादों ,
 मिलकर  बांटे  थे,  हम -दोनों .


अजब  बनाया जग में न्यारा ,
कुदरत ने ये - रिश्ता है  प्यारा  .


उस मालिकसे है, ये दुवा ,
विनती सुन लो ऐ मेरे खुदा !


बना  रहे ये - नेह  का  साया ,
जब तक मुझमें जीवन समाया .

__________


मीनाक्षी श्रीवास्तव


प्यारी बहू रानी !

बहू रानी !
—-——

दिल जो जीते ‘ सासू माँ ’ का
वो खुशनसीब बहू रानी होती ।
——
दुनिया की हर दौलत से बड़ी –
शुभाशीषों से  झोली  भरती ।
——
प्रियतम की प्राणों से प्यारी -
बनके सदा उनके दिल में रहती ।
——
कुल बढ़ाती – मान बढ़ाती ,
जग में यश कमाने वाली -
——
भाग्यशाली संतान वो पाती ।
‘सौभाग्यवती’ संस्कारों वाली-
——
अपनी छाप पीढ़ी को सौंपती -
प्रति-दिन वंदित होती रहती !
——



मीनाक्षी श्रीवास्तव

न जाने कौन ढूँढ़ेगा…..?


न जाने कौन ढूँढ़ेगा…..




न जाने-जमाने को लगी कौन सी ऐसी हवा है,
क्यों अब किसी के लिये कोई भी नहीं सगा है .
..

न बदली में वो छटा है न हवा में वो सबा है .
न परवाने में वो दम है न शम्मा होती फना है.
..

मन में कोई ज़ुबां में कोई फरियाद में कोई और है,
ख्वाब नहीं, हक़ीकत है यह, बस राज़ की बात है .
..

न शानो – शुबा माँ के ममता भरे आँचल की .
न बागवां – चमन का न आबो हवा वतन की .
..

न रौनक़ महफिलों में न मंज़िल मेहनतकशों की,
न जाने कौन ढूँढ़ेगा दवा 
कोई इस बदले ज़माने की !
..




मीनाक्षी श्रीवास्तव

Wednesday, January 15, 2014

ताउम्र दुआ किया करते हैं ...

ताउम्र दुआ किया करते हैं ....



कुछ उनकी खूबसूरती पे दिलों जान से मरा करते हैं ,
कुछ   नेह  से सदा  उनका  माथा  चूमा करते हैं .

कुछ  दूर से  देख  उन्हें ,  आहें   भरा  करते  हैं ,
कुछ छिपा के डायरी में उनकी तस्वीर रखा करते  हैं ।.

कुछ  उनके  नाम  की  माला  जपा  करते  हैं ,
कुछ  उनके  नाम पे  मीनू गज़ल लिखा  करते  हैं ।

कुछ उनको चाँद समझ कर देख  लिया करते हैं , 
कुछ उन्हें  पुष्प  मान  अहसास किया  करते हैं ।

कुछ  नैनों में  बसा  उनके स्वप्न  देखा करते हैं ,
कुछ वे  जो  उन  पर  किताब लिखा  करते हैं ।

कुछ  उन्हें  दिल में बसा  दूर  ही  रहा करते  हैं ,
कुछ उनकी शान से चर्चा ए-आम किया करते  हैं ।

कुछ उनका नाम शमां से जोड़ लिया करते हैं,
कुछ उनके नाम पे हर रोज़ ज़ाम पिया करते हैं ।

 कुछ उनके कदमों के निशां पे चला करते हैं ,
कुछ अपनी रूह  में  उन्हें  बसाया करते हैं ।
 

कुछ उन्हें  अपना कर  सम्मान दिया  करते  हैं ,
कुछ उनकी सलामती की ताउम्र दुवा किया करते हैं ।


मीनाक्षी श्रीवास्तव

15/ 01/ 2014