Monday, April 1, 2013

बुरा न मानो होली है ….

बुरा न मानो होली है ….

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अपने देश के मंत्रियों का क्या कहना ..भई ,  सभी अनेक गुणों से सुसंपन्न है। कितने घोटाले कितने षड्यंत्र और न जाने 

कितने करम -कांड …जग-जाहिर हैं ..कहना क्या…


पछले वर्ष अपनी ख़ास बयानबाजी के लिए मशहूर हुए - मंत्री जी के बारे में – इस बार होली में . . . कुछ ठिठोली ..हो जाये…..

क्योंकि अभी भी होली का खुमार चारों  ओर  दिखाई दे रहा है ; इस लिए एक हस्य - व्यंग की रचना पेश कर रही हूँ ....

” रंग- रंगीली होली  है ..होली बड़ी नशीली है “
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इस बार  हमारे ‘मंत्री’  जी  ने ,

गाँव में ‘होली‘ का प्लान बनाया

चुपके से  फोन  करके  वहाँ ,

खूब  रंगीन इंतज़ाम कराया

पहुंचे दल- संग बिन ‘घरवाली’ के ,

गाँव में  गज़ब  नज़ारा  देखा ,

मुख पे मुखौटे- पुष्प -हार लिए ,( स्वागत करने )

युवतियों को जींस- टॉप में देखा ,

देख  ये  मंत्री  का  मन  डोला ;

कई  इशारे  कुछ यूं  कर डाले ;

तभी उन्हें  पंच- लोगों  ने घेरा  ,

बहु- व्यंजन  जल-पान कराया ,

भंग- ठंडाई  के  ज़ाम   ‘छकाया’ .

छकते ही भंग, मंत्री जी  बोले -

यारो ! शुरू हो जाए “होली “ !

झट से  दौड़े   भर  पिचकारी ;

जींस टॉप ‘वालियों’ की  पाली

रंगीन- मिज़ाज व भंग का नशा

मंत्री  जी  के ‘सर’  पर   चढ़ा

होली के  बहाने  जब  उनने -

 युवतियों को जोर से जकड़ा

आगे   कुछ   और  कर   पाते ..

तभी  ’करारा’  झटका   लगा ,

लट्ठ – मार –  किसी ने  पटका        neta

घबरा कर  आँखें  जो  खोली

महिला दल – बल  पत्नी  खडी

बहु – संग – सुरक्षा-  कर्मी  सभी

भांप  गयी  थी ‘ पत्नी ‘ उनकी

चुपके से फोन- टाक  सुनी थी

आखिर कब तक ‘वो’ चुप रहती  ?

‘पति श्री’ की मनमानी सहती  ,

आखिर उसने  ठान लिया था -

‘उनको’    मजा  चखाने  का .

सब – मिल  युवतियों  ने मंत्री के ,

‘चहरे’  को  काला  कर   डाला ,

गाँव वाले  ने-  साथ  निभाया  ;

बैण्ड–बाजों का शोर मचाया ;

और ’गर्दभ‘ की शान बना के

गाँव की ’सैर’ करा  डाला .

मन्त्री जी हुए जेल के अन्दर

नए- बने कानून के अन्दर .

अब  ’वे’ न भूल पाएंगे कभी भी

रंगीन - ठिठोली- “ होली”  की  !



एक बार फिर …बुरा न मानो होली है !



(नोट :- वैसे उपरोक्त विशेष चर्चा केवल मंत्री जी की ही नहीं;  यह बात आम आदमियों की है  )
एक बहुत बड़ी सामाजिक बुराई  है ; जिसको एक जुट होकर दूर करना है ; इस उद्देश्य से इसे शब्दों में ढाला गया है।


होली के रंगीन त्यौहार पर सभी को  मेरी हार्दिक शुभकामनाये !

मीनाक्षी श्रीवास्तव 

” श्री राधा-कृष्ण होली गीत “


प्यारी रंगीली सखियों . . . मेरी मनरंजिनों . . ” रंग-रंगीली होली ” के आते ही भला ‘राधा कृष्ण’ का ध्यान न आये ; यह हो ही नहीं सकता .

“राधा-कृष्ण की होली ” जग विख्यात है. कान्हा का राधा पर रंगभरी – पिचकारी चलाने का हर बार अनोखा अंदाज़ होता था – उसमें से मैं कुछ भाव .. यहाँ पर एक ” होली गीत ” के माध्यम से देने जा रही हूँ ..बस आप सब कल्पना में डूब कर इस रंगीले होली गीत का आनंद लीजिये ….






” श्री राधा-कृष्ण होली गीत “
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स्थायी -
(ऐसो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
रंग डारी सारी – साड़ी ;
हाँ , रंग डारी सारी – साड़ी ;
 भीजी  मोरी …चोली ….
(ऐसो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
अंतरा -
लाज न आवे तोहे बाज आवे
हटो छोडो …हटो छोड़ो बहियाँ मोरी
पडूँ पइयां… तोरी ….
(ऐसो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
ऐसो कन्हाई मोहे
ऐसो कन्हाई मोहे
ऐसो कन्हाई मोहे , मारे पिचकारी ……

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नोट :- चित्र के लिए गूगल का साभार ..

मीनाक्षी श्रीवास्तव