Wednesday, January 15, 2014

ताउम्र दुआ किया करते हैं ...

ताउम्र दुआ किया करते हैं ....



कुछ उनकी खूबसूरती पे दिलों जान से मरा करते हैं ,
कुछ   नेह  से सदा  उनका  माथा  चूमा करते हैं .

कुछ  दूर से  देख  उन्हें ,  आहें   भरा  करते  हैं ,
कुछ छिपा के डायरी में उनकी तस्वीर रखा करते  हैं ।.

कुछ  उनके  नाम  की  माला  जपा  करते  हैं ,
कुछ  उनके  नाम पे  मीनू गज़ल लिखा  करते  हैं ।

कुछ उनको चाँद समझ कर देख  लिया करते हैं , 
कुछ उन्हें  पुष्प  मान  अहसास किया  करते हैं ।

कुछ  नैनों में  बसा  उनके स्वप्न  देखा करते हैं ,
कुछ वे  जो  उन  पर  किताब लिखा  करते हैं ।

कुछ  उन्हें  दिल में बसा  दूर  ही  रहा करते  हैं ,
कुछ उनकी शान से चर्चा ए-आम किया करते  हैं ।

कुछ उनका नाम शमां से जोड़ लिया करते हैं,
कुछ उनके नाम पे हर रोज़ ज़ाम पिया करते हैं ।

 कुछ उनके कदमों के निशां पे चला करते हैं ,
कुछ अपनी रूह  में  उन्हें  बसाया करते हैं ।
 

कुछ उन्हें  अपना कर  सम्मान दिया  करते  हैं ,
कुछ उनकी सलामती की ताउम्र दुवा किया करते हैं ।


मीनाक्षी श्रीवास्तव

15/ 01/ 2014







हर आलिंगन को मत देखो !


आलिंगन  

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हर आलिंगन को मत देखो ,
तुम नापाक़ निगाहों से ,
माँ की ममता-पिता की वात्सल्यता ,
सहोदरता और स्नेह सखापन ,
सब झलकता आलिंगन से ।
सब दिख जाता आलिंगन से ।

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आनंद और अनुराग  कभी -
स्वागत अभिनन्दन कभी ,
मिलन बिदाई भी कभी
अकसर औपचारिकता ही सही
सब झलकता आलिंगन से ।
सब दिख जाता आलिंगन से ।

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मीनाक्षी श्रीवास्तव