Wednesday, March 19, 2014

हाय नारी !

हाय नारी !


हाय ! नारी  क्या तेरी  -है,

यही कहानी ।


युगों–युगों से आज तक -है, 

लुटती अस्मिता तेरी ।


रिश्ते – नाते सारे- झूठे -हैं, 

करते तुझसे बेईमानी ।


कोई न जाने कोई न माने –है, 

तेरी  बेमिसाली ।


तेरे उद्गार तेरे समर्पण –की है, 

लगती बोली ।


हे नारी ! आज नहीं पर कल से-

तेरी सच में बदलेगी कहानी !


दूर नहीं वो दिन अब ज्यादा ,

जब ज्योति – ज्वाला बनेगी  !



मीनाक्षी श्रीवास्तव

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