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न जाने कौन ढूँढ़ेगा…..?
न जाने कौन ढूँढ़ेगा…..
न जाने-जमाने को लगी कौन सी ऐसी हवा है,
क्यों अब किसी के लिये कोई भी नहीं सगा है .
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न बदली में वो छटा है न हवा में वो सबा है .
न परवाने में वो दम है न शम्मा होती फना है.
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मन में कोई ज़ुबां में कोई फरियाद में कोई और है,
ख्वाब नहीं, हक़ीकत है यह, बस राज़ की बात है .
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न शानो – शुबा माँ के ममता भरे आँचल की .
न बागवां – चमन का न आबो हवा वतन की .
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न रौनक़ महफिलों में न मंज़िल मेहनतकशों की,
न जाने कौन ढूँढ़ेगा दवा कोई इस बदले ज़माने की !
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मीनाक्षी श्रीवास्तव
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