Wednesday, January 15, 2014

हर आलिंगन को मत देखो !


आलिंगन  

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हर आलिंगन को मत देखो ,
तुम नापाक़ निगाहों से ,
माँ की ममता-पिता की वात्सल्यता ,
सहोदरता और स्नेह सखापन ,
सब झलकता आलिंगन से ।
सब दिख जाता आलिंगन से ।

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आनंद और अनुराग  कभी -
स्वागत अभिनन्दन कभी ,
मिलन बिदाई भी कभी
अकसर औपचारिकता ही सही
सब झलकता आलिंगन से ।
सब दिख जाता आलिंगन से ।

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मीनाक्षी श्रीवास्तव

4 comments:

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