Tuesday, August 6, 2013

मेरी माँ



मेरी माँ मुझको तेरी प्यारी सूरत और ममतामयी ह्रदय में साकार ईश्वर के दर्शन होते हैं .



सच में हर बच्चे को अपनी माँ की सूरत बड़ी प्यारी लगती है; चाहे वो बेटा हो या बेटी .
हर अवस्था और हर उम्र में वह अपनी माँ को विभिन्न रूपों में अपने करीब पातें हैं . कितनी ही बातें माँ अपने बच्चों के कहने के पहले ही समझ जाती है . जैसे की प्रभु ! उसके इसी चमत्कारिक समझ के कारण ही लोग माँ को साक्षात् ईश्वर का रूप कहतें है बस यूँ ही नहीं .
हर बच्चे को अपनी माँ की गोद में एक अनमोल सुख और सुरक्षा का अहसास होता है.
एक बात मैं ख़ास तौर पर लड़कियों के लिए कहना चाहूंगी ( क्योंकि लड़कियां अधिकतर अपनी सासू माँ को ) वो प्यार और सम्मान दिल से नहीं देतीं जैसा की वो अपनी माँ के प्रति रखतीं हैं ; जबकि अपने जिगर के तुकडे को उसेसौपने वाली माँ का ह्रदय कितना विशाल कितना गहरा होगा ..सोचने की बात है ..पर यह बात नासमझ लड़कियों ..युवतियों को नहीं समझ में आती हैं ..वे तो बस कैसे अपने पति को उनके मोह से दूर करें तरकीब सोचती रहतीं है. ..और एक माँ जो बेटे के जन्म के बाद से एक प्यारी बहू लाने के सपने संजोये रहती है ..उसके संग में ..न जाने कितने काल्पनिक मधुर संबंधों के सुनहरे पन्नों के ढेर लगाये रहती है ..
आखिर करे भी तो कैसे न करे ..वह घर की लक्ष्मी ..और उसके वंश..कुल को बढाने वाली जो होती है ..अतः हर माँ को एक नेक बहू की चाहत होती है . और अपनी नेक संस्कारी योग्य बहू पर हर सास को बड़ा नाज़ होता है .
अपनी माँ को तो सभी प्यार करतें है ; अपनी सासू माँ को प्यार और सम्मान करो तो तारीफ़ है.
यहाँ मैं एक बात और मैं कहना चाहूंगी की अपने यहाँ ज्यादातर माताएं अपनी बेटियों के समक्ष सासू माँ की छवि को बड़ी कट्टर और तेज बना कर पेश करतीं है ; बचपन से उनके ज़हन में सासके प्रति एक डर खौफ या फिर नकारात्मक भाव पैदा कर देतीं है जिसके फलस्वरूप आगे चलकर दुष्परिणाम दिखायी देतें हैं . यहाँ लड़कियों का नहीं उनकी परवरिश संस्कार का दोष होता है.
अतः “Mother’s Day” पर यह कहना चाहूंगी कि हर माँ सदा अपनी गरिमा का ध्यान रखें और अपनी बेटियों को जो कल को पराये घर जायेंगी अपनी होने वाली सासू माँ को भी माँ समझे ..प्यार और सम्मान देकर अपनी झोली खुशियों से भरें “!
वास्तव में यह सच है कि अपने जिगर के टुकड़े ..अपने बेटे को बहू को सौप देने वाली माँ को अपनी बहू से कुछ और नहीं सिर्फ .. सत्कार और सम्मान की चाहत होती है .
अंत में सभी से इतना कहना चाहूंगी कि माँ के महत्व को दिल में उतारें तभी इस वंदनीय पूज्यनीय रिश्ते को समाज में सार्थकता मिल सकेगी !


HAPPY MOTHER’S  DAY !



मीनाक्षी श्रीवास्तव


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