Tuesday, September 18, 2012

ओ रे पिया .....


ओ रे पिया .....



ओ रे पिया, सावन ऋतु आई,
पलकें बिछाये, तेरी राह निहारूं
ओ रे पिया.....

बेला चमेली जूही 'रातरानी' 
महकी कलियां मस्त दीवानी 
हरसिंगार ने 'सेज'  सजाई  
पुरवैया ने ली फिर, अंगडाई  

ओ रे   पिया.....


भोर भये  बागों  को  जाऊं
चुन-चुन फूलों का हार बनाऊं
मंदिर में जा के प्रभु को पहनाऊं
कर विनती मैं, तो  'कर'  जोरी

ओ  रे पिया...........


 हाथों में हरी-हरी मेंह्दी लगाके
बालों में फूलों का गज़रा सजाके
भरी-भरी चूड़ियां बांहो में खनके
सम्भल ना पाये, उड़े चुनरी मोरी

ओ रे पिया..............

दादुर बोले ,  मुरला  नाचे
पियु - पियु टेर पपीहा लगाये
सुन-सुन ज़ियरा में आग जगाये
कल ना पड़ेबनी मैं, तो बावरी

ओ रे पिया...............

सब सखियन के पिय घर आये
बिदीं - चूड़ी  औ  चुनरी  लाये
अमुवा की डाली पे  झूला झूलें 
मन-हिंडोला,मेरो थम पाये ना,री

ओ रे पिया........

 सांझ भये बदरा  घिर आये
रह-रह गरजे, बिजली चमके
धक-धक जियरा धड़के  जाये
नींद ना आये,आजा तू हरजायी

ओ रे पिया.........



मीनाक्षी श्रीवास्तव 

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