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हाय नारी !
हाय नारी !
हाय ! नारी क्या तेरी -है,
यही कहानी ।
युगों–युगों से आज तक -है,
लुटती अस्मिता तेरी ।
रिश्ते – नाते सारे- झूठे -हैं,
करते तुझसे बेईमानी ।
कोई न जाने कोई न माने –है,
तेरी बेमिसाली ।
तेरे उद्गार तेरे समर्पण –की है,
लगती बोली ।
हे नारी ! आज नहीं पर कल से-
तेरी सच में बदलेगी कहानी !
दूर नहीं वो दिन अब ज्यादा ,
जब ज्योति – ज्वाला बनेगी !
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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