आलिंगन
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हर आलिंगन को मत देखो ,
तुम नापाक़ निगाहों से ,
माँ की ममता-पिता की वात्सल्यता ,
सहोदरता और स्नेह सखापन ,
सब झलकता आलिंगन से ।
सब दिख जाता आलिंगन से ।
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आनंद और अनुराग कभी -
स्वागत – अभिनन्दन कभी ,
मिलन – बिदाई भी कभी –
अकसर औपचारिकता ही सही –
सब झलकता आलिंगन से ।
सब दिख जाता आलिंगन से ।
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बहुत सुंदर .....
ReplyDeleteधन्यवाद मोनिका जी Q
Deleteधन्यवाद मोनिका जी Q
Deleteधन्यवाद मोनिका जी.
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