प्यारी रंगीली सखियों . . . मेरी मनरंजिनों . . ” रंग-रंगीली होली ” के आते ही भला ‘राधा कृष्ण’ का ध्यान न आये ; यह हो ही नहीं सकता .
“राधा-कृष्ण की होली ” जग विख्यात है. कान्हा का राधा पर रंगभरी – पिचकारी चलाने का हर बार अनोखा अंदाज़ होता था – उसमें से मैं कुछ भाव .. यहाँ पर एक ” होली गीत ” के माध्यम से देने जा रही हूँ ..बस आप सब कल्पना में डूब कर इस रंगीले होली गीत का आनंद लीजिये ….
” श्री राधा-कृष्ण होली गीत “
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स्थायी -
(ऐसो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
रंग डारी सारी – साड़ी ;
हाँ , रंग डारी सारी – साड़ी ;
भीजी मोरी …चोली ….
हाँ , रंग डारी सारी – साड़ी ;
भीजी मोरी …चोली ….
(ऐसो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
अंतरा -
लाज न आवे तोहे बाज आवे
हटो छोडो …हटो छोड़ो बहियाँ मोरी
पडूँ पइयां… तोरी ….
हटो छोडो …हटो छोड़ो बहियाँ मोरी
पडूँ पइयां… तोरी ….
(ऐसो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
(देखो कन्हाई मोहे मारे पिचकारी ..२
ऐसो कन्हाई मोहे
ऐसो कन्हाई मोहे
ऐसो कन्हाई मोहे , मारे पिचकारी ……
ऐसो कन्हाई मोहे
ऐसो कन्हाई मोहे , मारे पिचकारी ……
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नोट :- चित्र के लिए गूगल का साभार ..
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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