ओ रे पिया .....
ओ रे पिया, सावन ऋतु आई,
पलकें बिछाये, तेरी राह निहारूं
ओ रे पिया.....
बेला चमेली जूही 'रातरानी'
महकी कलियां मस्त दीवानी
हरसिंगार ने 'सेज' सजाई
पुरवैया ने ली फिर, अंगडाई
ओ रे पिया.....
भोर भये बागों को जाऊं
चुन-चुन फूलों का हार बनाऊं
मंदिर में जा के प्रभु को पहनाऊं
कर विनती मैं, तो 'कर' जोरी
ओ रे पिया...........
हाथों में हरी-हरी मेंह्दी लगाके
बालों में फूलों का गज़रा सजाके
भरी-भरी चूड़ियां बांहो में खनके
सम्भल ना पाये, उड़े चुनरी मोरी
ओ रे पिया..............
दादुर बोले , मुरला नाचे
पियु - पियु टेर पपीहा लगाये
सुन-सुन ज़ियरा में आग जगाये
कल ना पड़े, बनी मैं, तो बावरी
ओ रे पिया...............
सब सखियन के पिय घर आये
बिदीं - चूड़ी औ चुनरी लाये
अमुवा की डाली पे झूला झूलें
मन-हिंडोला,मेरो थम पाये ना,री
ओ रे पिया........
सांझ भये बदरा घिर आये
रह-रह गरजे, बिजली चमके
धक-धक जियरा धड़के जाये
नींद ना आये,आजा तू हरजायी
ओ रे पिया.........
मीनाक्षी श्रीवास्तव
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